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हिंदी में फ़ोटोग्राफ़ी सीखें | पहला फ़ोटोग्राफ़ी लेसन | एक तस्वीर कैसे बनती है ?

Hindi mein photography kaise seekhein | हिंदी में फ़ोटोग्राफ़ी सीखिए, फ़ोटोग्राफ़ी का पहला लेसन

पहले कुछ फ़ोटोग्राफ़ी के बारे में !

कहा जाता है कि एक तस्वीर १०,००० शब्दों के बराबर होती है, इसलिए फ़ोटोग्राफ़ी को कहानी कहने कि एक विधा माना जाता है |फ़ोटोग्राफ़ी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - फ़ोटो और ग्राफ़ी ! फ़ोटो ग्रीक भाषा का एक शब्द है, जिसका मतलब होता है - प्रकाश या लाइट, जबकि ग्राफ़ी एक प्रकार से किसी भी सब्जेक्ट की पेंटिंग या चित्रकारी करना है| तो इस तरह से फ़ोटोग्राफ़ी, विज्ञान और कला का मिश्रण है | जिसका हिंदी में मतलब हुआ- लाइट कि सहायता से किसी चित्र या तस्वीर को बनाना |

"आसान भाषा में कहें तो किसी भी तस्वीर या फ़ोटो को निकालने की पूरी प्रक्रिया को फ़ोटोग्राफ़ी कहते हैं" और तस्वीर निकालने के लिए उपयोग होने वाले उपकरण को कैमरा कहते हैं |

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अब हम जानते है कि एक तस्वीर कैसे बनती है |

फ़ोटोग्राफ़ एक तरह कि तस्वीर (Image) होती है, जिसे लाइट ( प्रकाश ) कि सहायता से किसी फोटोसेंसिटिव सतह पर बनाया जाता है, जैसे - फ़ोटो-ग्राफिक फिल्म और इलेक्ट्रॉनिक इमेज सेंसर ( सी. सी. डी और  सी. मॉस चिप) जब हम फ़ोटोग्राफ़ी करते हैं  या कोई तस्वीर खींचते हैं, तो सबसे पहले हम कैमरे के शटर रिलीज़ बटन को दबाते हैं, बटन दबाते ही दो घटनाएँ घटित होती हैं |

1. पहले, जो लाइट कैमरा के अंदर आती है वो लेंस में पाए जाने वाले छेद (होल) से होकर गुजरती है, इस होल को अपर्चर (Aperture) कहते हैं, इसे हम अपनी सुविधानुसार कम या ज़्यादा करके लाइट को कंट्रोल कर सकते हैं |   

लेंस में एक द्वार होता है, जिससे रौशनी कैमरे में क़ैद होती है, उस द्वार को अपर्चर कहते हैं |

लेंस में एक द्वार होता है, जिससे रौशनी कैमरे में क़ैद होती है, उस द्वार को अपर्चर कहते हैं |

कैमरा का शटर कुछ ऐसे दिखता है |

कैमरा का शटर कुछ ऐसे दिखता है |

2. कैमरा का शटर कुछ तात्कालिक समय के लिए खुलता है, जिससे लाइट कैमरा के अंदर आती है, और इमेज लाइट कि सहायता से कैमरा के सेंसर पर छप जाती है, शटर के खुलकर बंद होने के इस समय को ही शटर स्पीड कहते हैं |

किसी भी तस्वीर के बनने में सबसे उपयोगी एलिमेंट |

फ़ोटोग्राफ़ी का सबसे महत्वपूर्ण एलिमेंट लाइट ( प्रकाश ) है, जिसके बिना किसी तस्वीर की कल्पना भी नहीं की जा सकती है |जब भी हम कोई तस्वीर लेते हैं तो कैमरा के अंदर आने वाली लाइट कि मात्रा को कम या ज़्यादा करके सही अनुपात में सेट करते हैं |

" कैमरा में आने वाली लाइट को सही अनुपात में सेट करने की प्रक्रिया को एक्सपोज़र त्रिकोण (Exposure Triangle) भी कहा जाता है" एक्सपोज़र त्रिकोण (Exposure Triangle) पर हमने एक फुल डीटेल्ड वीडियो बनाया है, अगर आप इसके बारे में पूरी तरह से जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक कर देख सकते हैं |

जब आप सही एक्सपोज़र पा लेते हैं, तो आपके इमेज सेंसर पर लाइट एकदम सही मात्रा में पड़ती है| जिससे आपको एक ख़ूबसूरत एक्सपोज़्ड तस्वीर मिलती है, लेकिन यदि लाइट कि मात्रा बहुत ज़्यादा है तो आपकी तस्वीर ओवरएक्सपोज़्ड होगी और कम मात्रा होने पर अंडरएक्सपोज़्ड,  ऐसी स्थिति में आपको कैमरे के अंदर आने वाली लाइट की मात्रा को सही अनुपात में समायोजित करना पड़ेगा |यह हम दो या तीन प्रकार से कर सकते हैं |

लाइट को सही मात्रा में एडजस्ट करने का पहला तरीका है, लेंस की अपर्चर रिंग को खोलना और बंद करना अर्थात आप जितना ज़्यादा अपर्चर खोलेंगे उतनी ही ज़्यादा मात्रा में लाइट कैमरा के इमेज सेंसर तक पहुँचती है, और जितना कम खोलेंगे उतनी ही कम मात्रा में सेंसर तक पहुँचेगी |

जितना अपर्चर खुलेगा, उतनी ही रौशनी कैमरा के अंदर आ सकती है |

जितना अपर्चर खुलेगा, उतनी ही रौशनी कैमरा के अंदर आ सकती है |

दूसरा, यदि आपकी तस्वीर अंडरएक्सपोज़्ड है, तो आप कैमरा की शटर स्पीड को धीमा (slow) कर कैमरा में आने वाली लाइट कि मात्रा को बढ़ा सकते हैं, और अगर ओवरएक्सपोज़्ड है तो शटर स्पीड को तेज़ कर कैमरा के अंदर आने वाली लाइट को कम कर सकते हैं।

जितनी देर तक कैमरा का शटर खुला रहता है, रौशनी को अंदर आने के लिए उतना ही समय मिलता है |

जितनी देर तक कैमरा का शटर खुला रहता है, रौशनी को अंदर आने के लिए उतना ही समय मिलता है |

तीसरा तरीका है - कैमरा का आई.एस.ओ (ISO) इसके द्वारा हम कैमरा के इमेज सेंसर कि लाइट के प्रति सेंसिटिविटी को कम या ज़्यादा कर सकते हैं | इसका उपयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है, जहाँ हम शटर स्पीड या अपर्चर के द्वारा लाइट कि मात्रा को कम या ज्यादा नहीं कर सकते या फिर कहें कि करना नहीं चाहते , तब हम आई.एस.ओ. (ISO) का उपयोग कर कैमरा सेंसर कि लाइट के प्रति सेंसिटिविटी को बढ़ाते या कम करते हैं |

ISO नंबर जितना ज़्यादा ऊंचा होगा, कैमरा लाइट के प्रति उतना ही सेंसिटिव हो जायेगा |ध्यान रहे, ISO को ज़्यादा बढ़ाने से, तस्वीर की क्वालिटी बिगड़ सकती है |

ISO नंबर जितना ज़्यादा ऊंचा होगा, कैमरा लाइट के प्रति उतना ही सेंसिटिव हो जायेगा |

ध्यान रहे, ISO को ज़्यादा बढ़ाने से, तस्वीर की क्वालिटी बिगड़ सकती है |

और इस प्रकार से जब सही मात्रा में लाइट कैमरा के इमेज सेंसर पर पड़ती है, तो आपको एक ख़ूबसूरत एक्सपोज़्ड तस्वीर मिलती है |

यह थी एक तस्वीर के बनने कि बुनियादी जानकारी, इसके अलावा एक तस्वीर के निर्माण में उपयोगी एलीमेंट्स जैसे - अपर्चर, शटर-स्पीड, आई.एस.ओ, वाइट-बैलेंस, इत्यादि के बारे में हम आगे के लेखों मेंविस्तार से बात करेंगे, तब तक नीचे दिए हुए वीडियो को देखिए

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लेख: शैलेन्द्र परिहार

शैलेन्द्र परिहार GMax Studios के फ़ोटोग्राफ़ी और लाइटिंग डिपार्टमेंट में से हैं, शैलेन्द्र एक अपकमिंग फिल्मकार हैं, आप शैलेन्द्र को Instagram पर @indiafrom_thirdeye के नाम से पाएंगे |

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